डगमग-डगमग क्यों करती है धरती

Anjali Kumari 

खेल के मैदान में सभी बच्चे खेल रहे थे। अचानक बच्चों का पैर डगमगाने लगता है। सभी स्कूल की ओर भागते है। सहसा गाड़ी, झूला, कार और क्लासरूम की सभी वस्तुएं हिलने लगती है। सभी बच्चे चिल्लाने लगते हैं। भागो-भागो भूकंप आ गया है। सभी डरे-सहमे भागने लगे। थोड़ी देर पास में बैठे माली भईया ने कहा कि धीर रखो। तुरंत सबकुछ ठीक हो जाएगा। माली भईया ने पूछा, भूकंप कैसे आता है? बच्चों ने बताया कि धरती की सतह को हिलने को भूकंप कहा जाता है। धरती के लिथोस्फीयर यानि स्थलमंडल में एनर्जी के अकस्मात मुक्त हो जाने की वजह से भूकंपीय तरंगों के कारण होता है। भूकंप बहुत विध्वंसक होता है। पलभर में पूरे मानव जाति की बसावट को समाप्त कर सकता है। साथ ही जानमाल को क्षति पहंुचाता की शक्ति रखता है। भूकंप का मापन रिक्टर स्केल से किया जाता है। 3 से कम रिक्टर स्केल को कम तीव्रता एवं 7 रिक्टर या उससे अधिक को विध्वंसक माना जाता है। 

डगमग-डगमग क्यों करती है धरती

बहुधा भूकंप भूगर्भीय दोष के कारण आता है। भूकंप का आरंभिक केंद्र या सेंटर हाइपो सेंटर कहलाता है। धरती की ऊपरी हिस्से को ऊपरिकेंद्र कहते हैं। धरती के अंदर 7 प्लेट होते हैं। जो निरंतर अपने पथ पर घूमती रहती है। जब ये प्लेट्स अधिक टकराती है उसे जोन फॉल्ट लाइन के नाम से जाना जाता है। बार-बार टकराने की स्थिति में प्लेटस के कोने मुड़ जाते हैं। अधिक दबाव की वजह से प्लेट टूटने लगती है। अंदर की एनर्जी बाहर निकलने के लिए मार्ग ढूंढ़ती है। मार्ग ढूंढ़ने के क्रम में प्लेट्स का संतुलन बिगड़ता है और मानव व धरती के प्राणी भूकंप के झटके महसूस करते हैं। 

माली भईया नहीं नहीं। हमलोगों ने तो सूना है कि धरती शेषनाग पर बैठी है। शेषनाग जब करवट लेता है, तो धरती हिलती है। तुमलोग जाओ और गुरुजी से पढ़ो। सखिया बोलती है। हां.. हां. चलो गुरुजी के पास। सभी बच्चे भूगोल के शिक्षक के पास जाते हैं और भूकंप के बारे में कहते हैं कि माली भईया ने कहा है कि भूकंप आने का कारण शेषनाग है। गुरुजी नहीं.. नहीं. माली भईया बच्चों ने आपको बिल्कुल ठीक बताया है। 

कैसे जाने भूकंप की तीव्रता:

देखो बच्चों, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल से मापा जाता है जिसे रिक्टर मैग्रीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। रिक्टर स्केल का पैमाना 1 से 9 तक के बेस पर होता है। भूकंप के केंद्र अर्थात् एपीसेंटर से मापा जाता है।  जो इस प्रकार है-

रिक्टर स्केल प्रभाव 

0 से 1.9 यह बिल्कुल हल्का रहता इसलिए सीज्मोग्राफ से ही पता लगा सकते हैं।

2 से 2.9 हल्का कंपन

3 से 3.9 कोई भारी गाड़ी आपके सामने से गुजरे ऐसा महसूस होता है।

4 से4.9 घर की खिड़कियां टूट सकती है तथा दीवारों पर टंगी कोई वस्तु गिर सकती है। 

5 से 5.9 घर में रखे फर्नीचर हिलने लगता है।

6 से 6.9 घर की बुनियाद दरक सकती है। तथा ऊपरी मंजिलों की क्षति हो सकती है। 

7 से 7.9 घर और बड़ी इमारतें गिर जाती है। जमीन के अंर लगे पाइप फट जाते हैं। 

8 से 8.9 ठमारत के साथ-साथ पुल-पुलिया ध्वस्त हो जाता है। 

9 या उससे अधिक पूरी तरह से सबकुछ तबाह हो जाती है। सुनामी जैसा सबकुछ दिखता है। 

 

देखो बच्चों, भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। कब और कहां किस वक्त हो जाए इसका ठीक नहीं। वैज्ञानिक खोजों से यह जरूर हुआ है कि सुनामी या भूकंप का पूर्वानुमान तो लागाया जा सकता है। पर कभी-कभार सबकुछ फेल हो जाता है। दूसरी चीज कि भूकंप के अध्ययन को सिस्मोलॉजी कहते हैं। सबसे अधिक भूकंप इंडोनेशिया और जापान में आता है। अपने देश हिंदुस्तान में भूकंप (सिस्मिक जोन ) के आधार 2, 3,4 एवं 5 भागों में बांटा गया है। 

जोन 5 सबसे अधिक भूकंप - कश्मीरए वेस्टर्न और सेंट्रल हिमालयए उत्तर और मध्य बिहारए उत्तर.पूर्व भारतीय भूभागण् कच्छ का रण और अंदमान और निकोबार समूह आते हैं।

जोन 4 जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तरी पंजाब,  चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बंगाल, सुंदरबन। महाराष्ट्र का लातूर और पाटन एरिया भी जोन 4 में आते हैं। बिहार का रक्सौल जो भारत नेपाल की सीमा पर है यह भी जोन 4 में आता है।

जोन 3

इस जोन में भूकंप का कम खतरा होता है इसी प्रकार 


जोन 2 में भी भूकंप का सबसे कम खतरा होता है।

भूकंप आने से पहले क्या करें

  1. छत तथा नींव के पलास्तर में पड़ी दरारों की मरम्मत कराएं। यदि कोई संरचनात्मक कमी का संकेत हो तो विषेशज्ञ की सलाह लें।
  2. सीलिंग में ऊपरी ;ओवरहेड, लाइटिंग फिक्सचर्स ;झूमर आदि को सही तरह से टांगें।
  3. भवन निर्माण मानकों हेतु पक्के इलाके में प्रासंगिक बीआईएस संहिताओं का पालन करें।
  4. दीवारों पर लगे षेल्फों को सावधानी से कसें।
  5. नीचे के शेल्फों में बड़ी अथवा भारी वस्तुओं को रखें।
  6. सांकलध्चिटकनी वाली लकड़ी की निचली बंद कैबिनेटों में भंगुर ;ब्रेकेबलद्ध मदें जैसे बोतलबंद खाद्य सामग्रीए गिलास तथा चीनी मिट्टी के बर्तन को रखें।
  7. भारी चीजों जैसे तस्वीर तथा षीषे आदि कोए बिस्तरए सेटीज ;सोफाए बेंच या कोचद्ध तथा जहां भी लोग बैठते हैंए से दूर रखें।
  8. फैन फिक्चर्स तथा ओवरहेड लाइट को नट.बोल्ट की मदद से अच्छी तरह फिट कराएं।
  9. खराब या दोशपूर्ण बिजली की तारों तथा लीक करने वाले गैस कनेक्षनों की मरम्मत कराएं जिनसे आग लगने के जोखिम की संभावना होती है।
  10. पानी गर्म करने का हीटरए एलपीजी सिलेंडर आदि को दीवार के साथ अच्छी तरह कसवाएं बंधवाएं अथवा फर्ष पर बोल्ट कसवा के उन्हें सुरक्षित बनाएं।
  11. अपतृण.नाशी  ;वीड किलर्सद्ध, कीटनाशक तथा ज्वलनशील पदार्थों को सांकल वाले कैबिनेटों में तथा नीचे के शेल्फों में सावधानी से रखें।
  12. घर के अंदर तथा बाहर सुरक्षित स्थानों को तलाष कर रखें।
  13. मजबूत खाने की मेजए बिस्तर के नीचे।
  14. किसी भीतरी दीवार के साथ।
  15. उस जगह से दूर जाना जहां खिड़की, शीशे, तस्वीरों से कांच गिरकर टूट सकता हो अथवा जहां किताबों के भारी शेल्फ अथवा भारी फर्नीचर नीचे गिर सकता हो।
  16. खुले क्षेत्र में बिल्डिंगए पेड़ोंए टेलीफोन, बिजली की लाइनों, फ्लाई ओवरों तथा पुलों से दूर रहें।
  17. आपातकालीन टेलीफोन नंबरों को याद रखें ;जैसे डाक्टरों, अस्पतालों तथा पुलिस आदि के टेलीफोन नंबर।
  18. स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को भूकंप के बारे में जानकारी दें।

बच्चों, अब तो आप पूरी बात समझ गए फिर मिलते हैं अगली कक्षा में । तब तक आप अपने घर जाए और मम्मी पापा से भूकंप के बारे में कुछ पुरानी कहानियां भी सुने। बाय बाय!


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