समास - परिभाषा, भेद और उदाहरण and Quiz

प्रिय विद्यार्थियों एवं परीक्षार्थियों आज आपलोगों को समास की विस्तृत जानकारी इस पाठ में दी जाएगी।  ताकि आप अपने वर्ग नवीं  एवं दसवीं की तैयारी कर सकें।  अपने समस्या का समाधान कर सकें।

 

 आइए,  आज  हिंदी व्याकरण का सबसे महत्वपूर्ण पाठ समास के बारे में जानते हैं। आप सभी जानते हैं कि शब्द का निर्माण होता - उपसर्ग,प्रत्यय, संधि   समास आदि से होता है।  जितने नए-नए शब्द बनते हैं वह कहीं कहीं संधि, समास उपसर्ग, प्रत्यय के मेल से ही बनते हैं।  नीचे सभी विद्यार्थियों के लिए प्रश्नावली दी जा रही है जिसके जरिए आप खुद का मूल्यांकन कर सकेंगे तो आइए आरंभ करते हैं -

 

समास  

परिभाषा परस्पर दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं।  'समास' का अर्थ संक्षिप्त करना होता है। अथवा,

परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर जब नया एक सार्थक शब्द बनता है उसे हम समास कहते हैं। 




समास के प्रमुख रूप से दो महत्वपूर्ण अंग होते हैं -

. समस्तपद 

. समास- विग्रह

 

समस्त पद:  विभिन्न शब्दों के समूह से विभक्ति चिह्न  का लोप  करके बना शब्द समस्तपद कहलाता है।  जैसे - प्रतिक्षण, आजीवन, यथाशक्ति, राजपुरुष, राजपूत आदि  समस्तपद के उदाहरण हैं।

समास विग्रह समस्त पद में विभिन्न विभक्ति चिह्नों को पुनः जोड़ना समास विग्रह  कहलाता है।   जैसे ऋणमुक्त - ऋण से मुक्त 

समास के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:  समास के लिए दो या दो से अधिक पद होना अनिवार्य है पहला पद पूर्वपद और दूसरा पद उत्तरपद कहलाता है।

समास करते समय बीच की विभक्तिओं का लोप हो जाता है।

समास करते समय यदि किसी संधि की स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम उसे संधि के रूप में कर लेते हैं। जैसे - आज्ञा के अनुसार - आज्ञा + अनुसार = आज्ञानुसार

 

समास के भेद

1 अव्ययीभाव

2. तत्पुरुष 

3. द्वंद्व

4. बहुव्रीहि

 5. कर्मधारय

 6. द्विगु

. अव्ययीभाव समास :  

 

जिस समास में पहला पद प्रधान होता है तथा अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते  हैं।  इसमें समस्तपद भी अविकारी शब्द अर्थात अव्यय की भांति काम करता है।  जैसे -प्रतिक्षण समास -विग्रह क्षण- क्षण 

अन्य उदाहरणयथासंभव समास विग्रह जैसा संभव 

घर-घर ------------समास विग्रह------ प्रत्येक घर 

भरसक--------------- समास विग्रह -------पूरी शक्ति से 

बेकार -----------समास विग्रह --------काम के बिना 

बाकायदा -----------समास विग्रह -------कायदे के अनुसार 

2. तत्पुरुष समास  

तत्पुरुष समास की परिभाषा समस्त पद बनाते समय बीच  के विभक्तियों का लोप  हो जाता है।  जैसे - गुरु दक्षिणा 

गुरु के लिए दक्षिणा। 

दूसरी परिभाषा कुछ इस प्रकार है - जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास करते हैं।  इस समास  के पूर्वपद में कर्म से लेकर अधिकरण तक कई  कारक लगे होते हैं।  समस्त पद बनाते समय विभक्ति चिह्नों  का लोप हो जाता है और दो  पद जोड़कर एक पद बन जाते हैं। 

तत्पुरुष समास के 6 भेद :

कर्म तत्पुरुष 

करण तत्पुरुष 

संप्रदान तत्पुरुष 

अपादान तत्पुरुष 

संबंध तत्पुरुष 

अधिकरण तत्पुरुष

कर्म तत्पुरुष : इसमें कर्म कारक की विभक्ति अर्थात परसर्ग को का लोप करके समस्त पद का निर्माण किया जाता है।  जैसे - समस्त पद -  यश को प्राप्त - यशप्राप्त,  सबको प्रिय - सर्वप्रिय

करण तत्पुरुष : इसमें करण कारक की विभक्ति अर्थात परसर्ग से का लोप करके समस्तपद बनाया जाता है।  करण कारक में यह ध्यान रखना है कि से विभक्ति का अर्थ होता है साधन।  जहां साधन के रूप में उपयोग किया जाता है।  जैसे- हस्तलिखित- हस्त से लिखित यानि  हाथ से लिखा गया।   हाथ एक साधन बन गया , शोकाकुल-  शौक से आकुल, मनचाहा - मन से चाहा। 

संप्रदान तत्पुरुष : इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति  का लोप  करके समस्तपद बनाया जाता है।  रसोईघर-  रसोई के लिए घर, सत्याग्रह-  सत्य के लिए आग्रह।

अपादान तत्पुरुष : इसमें अपादान कारक की विभक्ति अर्थात परसर्ग से का लोप करके समस्तपद बनाया जाता है। यहां से किसी वस्तु अलगाव करने के लिए प्रयोग होता है।  जैसे पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं , तो पेड़ से पत्ते जुदा हो रहा है। 

संबंध तत्पुरुष : इसमें संबंध कारक की विभक्ति का , की , के का लोप हो जाता है।  जैसे- गंगाजल-  गंगा का जल। अधिकरण तत्पुरुष : इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति में , पर का लोप हो जाता है।

 

3.कर्मधारय समास :  जिस समास का उत्तरपद  प्रधान होता है उसे हम कर्मधारय समास कहते हैं।  जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष अथवा एक पद उपमान और दूसरा पद उपमेय हो ,तो उसे हम कर्मधारय समास करते हैं।  लालटोपी - लाल है जो टोपी,  सज्जन-  सत्य है जो जन,  महात्मा-  महान है जो आत्मा।  संसारसागर- संसार रूपी सागर कनकलता कनक के समान लता,  चरण कमल-  कमल के समान चरण।

 द्विगु समास :  जिस के पूर्वपद संख्यावाची विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं।  जैसे पंचवटी -पाँच वटों का समाहार, तिरंगा-  तीन रंगों का समाहार।

 बहुव्रीहि समास  : जब पूर्वपद या उत्तरपद प्रधान होकर किसी अन्य पद की ओर संकेत करता है या अन्य अर्थ की ओर संकेत करता है तब उसे बहुव्रीहि समास हैं। जैसे दशानन - दश  हैं आनन जिसके अर्थात रावण,  लंबोदर- लंबा है उदार  अर्थातगणेश।
 

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